स्थायी
हो मन मोही डारे ओ दाई मोहनी मूरतिया हा तोर
मन मोही डारे वो दाई मोहनी मूरतिया हा तोर
हो मोहनी मूरतिया जोगनी सुरतिया
मोहनी मूरतिया जोगनी सुरतिया
मन मोही डारे ओ दाई मोहनी मूरतिया हा तोर
अंतरा 1
पोई बीजा के सुग्घर लाली पवरी मा बड़ निक लागे वो
पांव के अंगरी मा मछरी बिछिया चुक चुक ले वो सुहागे वो
चंदन काठ के तोर खडऊ हर पवरी के शोभा बढ़ागे वो
छुम छुम छनानानाना बाजे पैजन अचेत जीवन जागे वो
बघवा मा बईठे वो
बघवा मा बईठे वो दाई मोहनी मूरतिया हा तोर
अंतरा 2
लाली लहर के लुगरा पोलखा हरियर लागे किनारी वो
जोगनी कस चमके तोर चुरी ककनी बनुरिया नियारी वो
मोर पहूंच मुंदरी नख लाली कान झूलै सोन बारी वो
करन फूल के सोनहा खिनवा नग बेसर हे पियारी वो
गल मा माला झूले वो
गल मा माला झूले वो दाई मोहनी मूरतिया मा तोर
अंतरा 3
मुख मण्डल दमकत हे सुरूज अस मुकुट सोनहा लागे वो
चंदा सउहे माथा म दाई मोहनी माया म मोहागे वो
होंठ के लाली आंखी के काजर करधन हांसन लागे वो
मुड़ के गजरा मांग के सेंदूर शिव के जपन मा भुलागे वो
कांतिकार्तिक के बूढ़ी माई मौनी लाला के महामाई
मोहनी मूरतिया हे तोर
मन मोही डारे वो दाई मोहनी मूरतिया हा तोर
हो मोहनी मूरतिया जोगनी सुरतिया
मोहनी मूरतिया जोगनी सुरतिया
मन मोही डारे वो दाई मोहनी मूरतिया हा तोर
✍ लेखक: ओपी देवांगन
🎤 प्रस्तुतकर्ता: KOK Creation
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