जगमग जगमग दीया बरत हे
अंबा के आरती होवै हो माँ
कंचन के थारी मा धूप कपूर धर
माटी के दीया जलायेव
पान फूल नरियर माता ध्वाजा सुपारी
तोरे चरण मा चघायेव
हो बाजे ढोल शंख नंगारा
हो बाजे ढोल शंख नंगारा
घंटा बाजत हे
अंबा के आरती हावै हो माँ
बईठे आसन में माता दुर्गा भवानी
सोला सिंगार अंग साजे
जम्मो परानी उतारे अंबा के आरती
झूमर झूमर सब नाचे
हो पा के दर्शन दाई के
पा के दर्शन दाई के
नैना भरत हे
अंबा के आरती हावै हो माँ
विपदा बाधा हर लेबे जग के महतारी
अन धन भंडार घर भर दे
अमरित बरसाबे मया के मउरे फूलवारी
बस अतका किरपा कर दे
हो प्रेमे पूरन हा माता
प्रेमे पूरन हा माता
पउरी परत हे
अंबा के आरती हावै हो माँ
अंबा के आरती हावै हो माँ
अंबा के आरती हावै हो माँ
अंबा के आरती हावै हो माँ
✍ लेखक: पूरण साहू
🎤 प्रस्तुतकर्ता: SUNDRANI
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