तोर डेहरी मा दाई वो
ऐ शीतला दाई सेवकाई करतेंव
तोर डेहरी मा दाई वो
ऐ शीतला दाई सेवकाई करतेंव
अतरी आशीष देते
अतरी आशीष देते
निर्धन गरीब के भलाई करतेंव
ऐ भलाई करतेंव
भूखे ला रोटी खवातेंव
प्यासे ला पानी पियातेंव वो
हो मईया हो
भटके ला रद्दा देखातेंव
गिरे हपटे ला उठातेंव वो
बूढ़त में दाई ददा ला
बूढ़त में दाई ददा ला
तीरथ बरत ला घूमाई देतेंव
ऐ घूमाई देतेंव
रूख राई ला लगातेंव
दूसर बर छंईहा बनातेंव वो
हो हो मईया
जीव जंतु के सेवा बजातेंव
दुख सुख में पाठ दबातेंव वो
राम के भरत जईसे
राम के भरत जईसे
माटी के तन ल खपाई लेतेंव
ये खपाई लेतेंव
कभू मोर ले पाप होवै झन
निर्मल रहै ये मोर मन वो
हो हो मईया
पढ़ौ गीता रामायण
भगती मा लागै लगन वो
प्रेम के जस ला दाई
प्रेम के जस ला दाई
दुनिया भर म मैं बगराई देतेंव
बगराई देतेंव
तोर डेहरी मा दाई वो
ऐ शीतला दाई सेवकाई करतेंव
तोर डेहरी मा दाई वो
ऐ शीतला दाई सेवकाई करतेंव
अतरी आशीष देते
अतरी आशीष देते
निर्धन गरीब के भलाई करतेंव
ऐ भलाई करतेंव
✍ लेखक: दुकालू यादव
🎤 प्रस्तुतकर्ता: 360INDIA
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